Tuesday, 26 June 2018

राक्षस

      सन्दर्भ:एक स्कूली छात्र द्वारा कनिष्ठ छात्र की गई निर्मम हत्या व अन्य ऐसी कई बर्बर घटनाएं
औरत की कोख से होता तो है
एक निर्विकार,निर्दोष बच्चा पैदा,
पर उसके बड़े होते हीं 
लोगों के बदन पर पल रहे,
काम,क्रोध,द्वेष,दंभ के परजीवी कीड़े
उसके वज़ूद में घर कर लेते हैं।

वह बच्चा टीवी,अख़बारों में 
शाया हुए विज्ञापनों में दिखती
नंगी औरतों का सरोकार
जोड़ नहीं पाता है नल से,परफ्यूम से,
साबुन से या फिर कंडोम से।

वह समझ बैठता है औरतों को 
एक भोग्य वस्तू,महज़ एक भोग्य वस्तू।
चित्र-साभार गूगल

वह जोड़ नहीं पाता सरोकार
बंदूक का - सिपाही से,
चाकू का - फल काटने वाले
उपस्कर से,
हॉकी के डंडे का - खेल से;

वह समझ बैठता है इन्हें
चीजों को बलात हासिल
करने का साधन,महज़ साधन;

और ऐसे होता है एक बच्चे का
एक राक्षस में रूपांतरण।

काश हम यह समझ पाते कि
हम राक्षस पैदा नहीं करते,
हम राक्षस बनाते हैं।

-पवन कुमार श्रीवास्तव।
©®Pawan Kumar Srivastava/written on 24 June 2018.

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