Monday, 13 August 2018

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

लघुकथा:आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
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©®Pawan Kumar Srivastava/written on 9th Aug 2018.

विस्मयकारी अन्वेषणों की इस दुनिया में वह अंधा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंसयुक्त चश्मा खऱीद कर प्रमुदित मन से अपनी तरुणवय की बेटी के साथ बाहर निकला ।चश्में ने झट से सेंसर की सहायता से सामने पड़े कुत्ते के बारे में अंधे के दिमाग को संदेश प्रेषित करते हुए कहा -'एक मित्रवत चौपाया अपनी दुम हिलाकर आपका स्वागत कर रहा है।'
अंधा मुस्कुराया और अपनी बेटी के साथ पास अवस्थित मेट्रो स्टेशन की ओर बढ़ चला।थोड़ी देर बाद अंधा अपनी बेटी के साथ मेट्रो पर सवार था और अपने विलक्षणकारी चश्मे की सहायता से लोगों को,वरन ऐसा कहिये कि लोगों के अंतरउद्भूत विचारों को पढ़ रहा था।
"सामने एक अतिकामुक व्यक्ति आपकी पुत्री के देह-विन्यास को वासनामयी दृष्टि से निहार रहा है और विचार रहा है कि 'अगर इस नवयौवना के साथ सोने मिल जाए तो आनन्द आ जाए।'"
'एक अन्य व्यक्ति आपकी पुत्री के शरीर पर मुद्रित टैटू और अर्वाचीन वस्त्र को देखकर अनुमान लगा रहा है कि अवश्य हीं आपकी पुत्री व्यभिचारिणी होगी।'
'एक कामकुंठित वृद्ध व्यक्ति मन हीं मन प्रार्थना कर रहा है कि उसके पास का स्थान खाली हो और आपकी खड़ी बेटी उसके बिल्कुल सन्निकट बैठ जाए'
अंधा इन उत्पीड़क संदेशों के आगमन से व्यथित हो गया ।उसे अपने अल्पकालिक अनुभव से यह भान हो गया कि पग पग पर ऐसे लोग भरे पड़े हैं और वह उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता और इसलिए अगले स्टेशन पर जैसे हीं मेट्रो का दरवाजा खुला,अंधे ने अपना चश्मा मेट्रो के बाहर फेंक दिया।
-पवन कुमार ।

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