Thursday, 12 July 2018

रुदादे-दिल के लब्बोलुआब इतने आसां नहीं होते,
ग़म-ए-हयात चाहिये........ इसे समझने के लिये।

©®Pawan Kumar
*रुदादे-दिल:दिल की कहानी
*लब्बोलुबाब:सार
*ग़म-ए-हयात:-जीवन भर का ग़म।


(Me and my dearest sister)

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