किसी मनोहारी गंतव्य की ओर जा रही वह एसयूवी गाड़ी जो गर्व से इठलाते राजमार्ग पर ऊसर प्यासी ज़मीन के सामानान्तर चल रही थी,अचानक रुक गई।ड्राइवर समेत कार में सवार दोस्तों का झुंड बाहर निकल आया।बियर पीने का सिलसिला जो अबतक गाड़ी के अंदर चल रहा था,अब बाहर चल पड़ा। ड्राइवर ने गाड़ी का निरीक्षण करके कहा-'साहब रेडियेटर गर्म हो गया है।आगे जाने के लिए इसमें पानी डालना होगा।'
'इस सूखाग्रस्त इलाके में पानी आसानी से मिलने से तो रहा,ऐसा करो गाड़ी में मिनरल वाटर पड़ा है,उसे डाल दो।'
किसी मालिकी सलाह पर ड्राइवर गाड़ी से मिनरल वाटर निकाल रेडियेटर में डालने के लिए रेडियेटर के ठंडा होने का इंतज़ार करने लगा।इस बीच एक मसखरेबाज़ अपने दोस्तों का मनोरंजन करने के लिये मज़ाकिया कॉमेंट्री करने लगा,कुछ इस अंदाज़ में - 'मुम्बई से दमन के हमारे सफ़र में राहुल सिंह अब तक तीन बियर और एक बोदका गटक चुके हैं,सोमेश साढ़े सत्तरह बार अपनी बेवफ़ा सोनम को गाली दे चुके हैं और गज्जू गुलाटी चार बार असहनीय दुर्गंध छोड़ चुके हैं।हमारी गाड़ी एक झंडू सी ज़गह पर ख़राब हो गई है जहाँ दूर दूर तक सूखी ज़मीन पसरी है जो रामू माली की एड़ियों की तरह फ़टी हुई है ।लगता है इस पर किसी को बोरोप्लस लगाना होगा।'
उस मसखरेबाज़ शख्स की इस मज़ाकिया टिप्पणी पर सब बेसाख़्ता हंस पड़े पर ड्राइवर जो शायद लंबे समय से इन रईसों की ऊलूल-जुलूल हरकतें झेल रहा था,के चेहरे पर शिकायती भाव क़ाबिज़ था।मसखरेबाज़ ने देखा,दूर कुछ नंगे-अधनंगे बच्चे कहीं से कट कर आई पतंग उड़ा रहे थे।मसखरेबाज़ ने अपनी टिप्पणी का रुख़ उस ओर मोड़ते हुए कहा ' दूर कुछ सुकड़े से बच्चे अपने वातानुकूलित परिधान में,जिसमें हवा के आने जाने के लिये छेद बना है,पतंग उड़ा रहे हैं ।इनके यहाँ काफ़ी समय से बारिश नहीं हो रही ,इसलिए ये पतंग में चिट्ठी लिखकर ऊपर भगवान को भेज रहे हैं कि वे ज़ल्दी से बारिश करा दें।यह क्या! उनकी पतंग धागे से टूट कर एक सूखे पेड़ की डाल से लटक गई है।'
मसखरेबाज़ की इस बात पर ड्राइवर को बोले बग़ैर नहीं रहा गया।उसने कसैलेपन से सनी आवाज़ में कहा-
'साहब वो किसान के बच्चे हैं,टूटना और फिर किसी सूखे पेड़ की डाल से लटक जाना,उनकी क़िस्मत है।'
चित्र साभार-गूगल
©®Pawan Kumar Srivastava/written on 27th July 2018.

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