Wednesday, 18 July 2018

शुक्रिया फेसबुक

मेरे कई दोस्त हैं जिनकी दिलजोई हरकतों पर बेरहम मौत ने हमेंशा के लिए लगाम लगा दिया।पर वे अब भी सुगबुगाते हैं,फेसबुक के अपने पुराने स्टेटस,अपनी देरीना तस्वीरों के ज़रिए।अब भी नोटिफिकेशन हर साल मेरे दिल के कपाट पर उनके नाम की दस्तक दे जाता है और एक भरम पैदा कर जाता है उनके ज़िंदा होने का।
©®Pawan Kumar Srivastava/written on 2nd July 2018.

ए दोस्त तुम तो चले गए 
इस हक़ीक़ी दुनियां से
पर एक दुनियां है जिसमें 
तुम जस के तस क़ायम हो;

तुम्हारे अंगूठे के इशारे पर 
नर्तन करने वाला वक़्त
जम गया है वहाँ एक हिमनदी सा;

तुम्हारे जन्मदिन पर
तुम्हारे यार-अहबाबों की 
दी गई बधाइयां वहाँ
चिपक गई हैं दीवार पे
किसी छिपकली के मानिंद;

तुम्हारी बेटी वहाँ 
तुम्हारी गोद से
उतरने का नाम नहीं 
ले रही;

तुम्हारे यार तुम्हें
अब भी घेरे हुए हैं वहाँ
उस जश्नाई शाम में
जिसे तुमनें अपने 
सुरा और सुरों से
मख़मूर कर दिया था;

तुम्हारे मम्मी पापा 
अब भी चेहरे पे 
तुम्हारे सलामत होने की
गर्वीली मुस्कान लिए
वहाँ तुम्हारे साथ खड़े हैं;

मेरे पास भी 
हर साल आ जाता है 
एक नोटिफिकेशन,
तुम्हारे जन्मदिन का
और पैदा कर जाता है मुझमें
एक वक़्ती मुग़ालता 
कि तुम ज़िंदा हो;

मैं झांक आता हूँ तुम्हारे 
उस आभासी दयार में तब,
तुम्हें 'हैप्पी बर्थडे' कह 
आता हूँ
और इस तरह भरपूर
महसूस आता हूँ तुम्हें
और दुआ कर आता हूँ
कि उस मजाज़ी दुनियां
में हीं सही,
तुम ज़िंदा रहो ताक़यामत
ए दोस्त।

-पवन कुमार श्रीवास्तव।

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