Saturday, 21 July 2018

लघु कथा-टिम्सी



उस नीमआबाद कस्बे में 12 वर्षीय सोमू और 15 वर्षीय डांगी का घर आसपास था।डांगी अव्वल दर्जे का शरारती था।इतना शरारती कि ,सोमू का दूर के रिश्ते का चाचा होने के बावजूद वह शरारत के मामले में सोनू को भी नहीं बख्शता था।पर चूंकि डांगी थोड़ा जुगाड़ू लड़का था,कैसे न कैसे मेला जाने के लिए इजाजत ,मिठाई-समोसे के लिए पैसे जुगाड़ कर लेता था,सोमू उसका पुछल्ला बना रहता था।इसका सोमू को कभी कभी फ़ायदा हो जाया करता था और उसे भी डांगी के जुगाड़ से हासिल चीज़ों में थोड़ा हिस्सा मिल जाया करता था।
मेले-ठेले,खेल-खिलौने के अलावा सोमू को जिस चीज़ से काफी निस्बत थी,वह था उसका प्यारा कुत्ता टिम्सी।
8 महीने पहले सोमू ने पड़ोस के मोहल्ले से बड़ा खतरा मोल लेकर नन्हे टिम्सी को उसकी माँ के नाक के आगे से उड़ाया था।अब तो टिम्सी काफी बड़ा हो गया था।सोमू के एक टेर पर जब टिम्सी भागा हुआ आता और दुलार जताते हुए पूंछ हिलाने लगता तो सोमू को ऐसा मालूम होता मानो उसे सारी दुनिया की बादशाहत मिल गई हो।टिम्सी उसके दिल का टुकड़ा था।
उस दिन सोमू जब स्कूल जाने के लिए बाहर निकला तो दीवारों को सर्कस के रंगीन इश्तहारों से पटा देख हैरान हो गया।इश्तिहार में मौजूद शेर-हाथी की तस्वीरों ने उसकी कौतुहलता बढ़ा दी।उसने अपने जीवन में सर्कस कभी नहीं देखा था।उसका दिल सर्कस देखने के लिए मचल उठा।

जाड़े की स्तब्ध रात में सर्कस के शेर जब दहाड़ते ,सोमू अपनी रजाई में और भी दुबक जाता था।शेर की दहाड़ सुन कर सोमू को डर भी बहुत लगता था पर साथ हीं साथ अंदर हीं अंदर शेर को देखने की ख्वाइश भी करवटें लेने लगती थी।
उस दिन डांगी जाने कैसे सर्कस की दो टिकटें जुगाड़ करके लाया और सोमू से अपने साथ सर्कस चलने की पेशकश करने लगा।सोमू को ज्यों मन मांगी मुराद मिल गई हो,वह बल्लियों उछल पड़ा।उसकी नियाज़ की तकमील में बस एक दुश्वारी थी,माँ को डांगी के साथ उसे सर्कस जाने देने के लिए किसी तरह राजी करना,सो कुछ देर की चिरौरी,इधर उधर न जाने के वायदों के बाद उसे उसकी माँ की इजाज़त मिल हीं गई।
सोमू ने उस दिन सर्कस का भरपूर लुत्फ़ लिया।घर लौट कर भी वह अपनी माँ को सर्कस की पुरलुत्फ़ बातें बताता रहा।जब उसकी बातों का कूज़ा खाली हो गया तो उसे ख़्याल आया कि वह सुबह से अपने प्यारे टिम्सी से मिला नहीं है।उसने आंगन,बाहर सब जगह टिम्सी को हांक लगाई पर टिम्सी नमूदार नहीं हुआ।सोमू टिम्सी का सब ठौर-ठामा देख आया पर उसका कोई अता-पता न था।सोमू टिम्सी को बदहवास ढूंढे जा रहा था कि तभी पास से गुजरते रिक्शे पर उसने माइक पकड़े एक आदमी को सर्कस का प्रचार करते सुना।
'दुनियां भर में लोगों का भरपूर मनोरंजन करने के बाद आपके शहर में पहली बार जम्बो सर्कस आया है ऐसी ऐसी करतबें ले कर जिन्हें देखकर आप दांतों तले अंगुलियां चबा जाएंगे।देखिये मौत का कुँआ।तोते का तोप चलाना,देखिये कैसे मौत से आंख मिचौली खेलती जाबांज़ हसीनाएं खूंखार शेर के दांत गिनती हैं।
हाथी के आहार के लिए फल-पत्तियां और शेर के आहार के लिए कुत्ते,बकरियां लाने वालों को सर्कस का डिलक्स क्लास का मुफ़्त टिकट मिलेगा।तो आइए आज हीं अपने परिवार के साथ जम्बो सर्कस।'
उस प्रचार को सुन सोमू का सीना धक से रह गया। उसे समझ आ गया था कि डांगी ने टिकट का जुगाड़ कैसे किया था और उसके टिम्सी के गायब होने की वज़ह क्या थी?
©®Pawan Kumar Srivastava/written on 2nd July 2018.
पवन कुमार श्रीवास्तव की मौलिक रचना।

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