वह धनाढ्य दम्पति अपने अबोध बच्चे के साथ अपनी शानदार कार से उतरकर जब एक जेवरात की दुकान की ज़ानिब जा रहा था तो दो आंखें उसका मुसलसल पीछा कर रही थीं।
दुकान में दाख़िल होने के बाद पत्नी अपने बच्चे को अपनी गोद से नीचे उतार ख़रीदने की नीयत से करीने से सजे मनोहारी जेवरात का मुआयना करने लगी ।उसने एक स्वर्णहार अपने सुराहीदार गले से लगाया और अपने पति के सिम्त देख,वह हार उस पर जंच रहा है या नहीं,अपने पति से इस बात की तस्कीन करने लगी ।इस दौरान नया नया चलना सीखा बच्चा अपने इस रोमांच का मज़ा लेने लड़खड़ाते क़दमों से बढ़ चला और जाने कैसे दुकान के बाहर आ गया जहाँ लोगों की भीड़ और आती जाती गाड़ियों की रेलम-पेल थी।इससे पहले कि वह मासूम बच्चा किसी गाड़ी की चपेट में आ जाता किसी के निशक्त हाथों ने उसे थाम लिया ।वह एक मिसकिन सी सूरत वाला एक भिखारी था जिसके बदसूरत बदन और बदन पर मौज़ूद चीथड़ों से बेइंतहा भूख और ग़रीबी टपक रही थी।भिखारी ख़ुद को और बच्चे को गाड़ियों से दूर एक सुरक्षित पनाह देने के लिए सड़क के उस ओर भागा पर बेक़दरी की मार से स्याहबदन हुए भिखारी और अभिजातीय ओज से युक्त बच्चे के कुमेल ने लोगों के अंदर यह सोंच पैदा कर दी कि भिखारी बच्चे को चुरा कर भाग रहा है।सब टूट पड़े उस पर।जब लोग उस भिखारी पर लात,घूंसे बरसाने में मशगूल थे,कहीं से रईसाना पोशाक में मबलूस एक आदमी आया और उस बच्चे को ले उड़ा।यह वही आदमी था जिसकी आंखें बच्चे का पीछा कर रही थी और बच्चे को अगवा करने का मौका तलाश रही थी।
-पवन कुमार।
©®Pawan Kumar Srivastava/written on 22 July 2018.

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