Monday, 24 September 2018

मेरी ख़ातिर

मेरी ख़ातिर
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(यह लघुकथा वाजिब,जाज़िब या अजीब कुछ भी हो सकती है.....यह क्या होगी यह आपके नज़रिये, आपकी दूरगामिता पर निर्भर करता है)
©®Pawan Kumar/Written on 22nd Sept 2018.
'रुको, इस तरह अपनी जान मत दो'
उस पुल से गुजरते उस बेहद बदशक्ल से लड़के ने पुल से भयानक दरिया में छलांग लगाने को आमादा उस ख़ूबसूरत लड़की से जब ऐसा कहा तो मिस्कीन सूरत वाली वह लड़की रूंधे हुए गले से कह पड़ी -
'मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे धोखा दे दिया।मेरे पेरेंट्स अपने हीं झगड़ों में बिजी रहते हैं ।उनके पास मेरी तकलीफ़ों को सुनने के लिये न वक़्त है न इरादा।मैं इमोशनल ब्रेकडाउन के कारण अपने आई. टी. के एग्जाम में लगातार दो दो बार फेल हो गई।तुम मुझे एक जेनुइन सी वज़ह बता दो जिसके लिए मुझे जीना चाहिए,आई स्वेअर मैं सुसाइड नहीं करूंगी।'
'मेरी ख़ातिर।'
चित्र साभार- गूगल 
'क्या,तुम्हारी ख़ातिर! नाउ डोंट टेल मी कि इस एक मिनट में तुम्हें मुझसे प्यार हो गया ।ऐसा कहोगे तो तुम्हारे इस झूठ पर मैं थूकूंगी भी नहीं।'
लड़की की यह प्रतिक्रिया सुन लड़का बड़ा जज़्बाती हो कहने लगा-
'तुम जियो,मेरे प्यार की ख़ातिर नहीं,बल्कि मेरी जिस्मानी ज़रूरतों की ख़ातिर ।मेरे ऊपर से अग्ली का टैग हटाने के लिए ,मुझमें सेल्फ स्टीम पैदा करने के लिये।'
सुसाइड करने जा रही वह लड़की उस लड़के का यह अजीबोगरीब ज़वाब सुन हैरतज़दा हो उसे देखने लगी।लड़की को यूं देखते देख वह बदशक्ल लड़का तफ़्सील से उसे समझाने लगा
'देखो तुम्हें खुल के समझाता हूँ।यह मेरा चेहरा देख रही हो न,यह अल्ट्रा डार्क कॉमप्लेक्सन,ये चेहरे पर पॉक्स के गंदे से स्पॉट्स ।इन्हें देखकर लड़कियां मुझसे सौ सौ फ़ीट दूर रहती हैं ।मेरे सारे फ्रेंड्स मेरी उम्र तक कई कई बार जाने कितनी लड़कियों के साथ सो चुके हैं पर मैं ,मैं तो साला किसी लड़की का हाथ तक पकड़ने के लिये तरस गया हूँ ।मेरे दोस्त यूफोरिक होकर जब अपनी रंगीली रातों की कहानियां कहते हैं और मेरी तरफ़ बेचारगी से देखते हैं तो क़सम से हसरत और मायूसी दोनों मुझे धर दबोचती हैं।मैं भी उनकी तरह जीना चाहता हूँ ,कम से कम एक बार ।एक बार चाहता हूँ कि किसी ख़ूबसूरत लड़की के नर्म हाथों,रेशमी बालों को छूने का लुत्फ़ लूं।चाहता हूँ कि एक बार मैं किसी ख़ूबसूरत लड़की के इतना क़रीब होऊं कि मेरी और उसकी सांसें आपस में गुत्थमगुत्था हो जाएं ।मुझे यह सब देने के लिये, मेरी ख़ातिर तुम सुसाइड का प्लान गिव अप कर दो।'
ख़ूबसूरत लड़की हैरान हो लड़के की अजीब पर ईमानदार दलील को सुनी जा रही थी।लड़की के चेहरे से अभी भी यह ज़ाहिर नहीं हो रहा था कि उसने ख़ुदकुशी का इरादा बदला है या नहीं ।लड़के ने चेहरे के इस अबूझ लिखावट को पढ़ने की भरसक कोशिश की और जब नाक़ामयाब रहा तो अपने आखिरी दांव के तौर पर कह पड़ा-
'देखो तुम समझ रही हो न ? तुम चाहो तो बेशक़ मेरी ज़रूरतों को पूरा कर फ़िर से सुसाइड का प्लान बना सकती हो '
लड़के के यह कहने के बावज़ूद लड़की पुल की रेलिंग की तरफ़ चल पड़ी ।यह देख लड़का हड़बड़ाते हुए उसे रोकने की नीयत से उसकी ओर बढ़ा।
'कूल! मैं जम्प करने नहीं जा रही,अपनी सैंडल लेने जा रही हूँ।बग़ैर सैंडल के तुम्हारे घर जाऊंगी तो लोग बड़ी बड़ी आंखें फाड़ कर मुझे देखेंगे कि ये क्या आइटम है'
लड़की ने जब ऐसा कहा तो बड़बोला लड़का जो अब बदशक्ल नहीं रहा था झट से बोल पड़ा-' आंखें फाड़ कर तो वे तुम्हें अब भी देखेंगे।आफ्टर ऑल 'लंगूर के हाथ में हूर' उन्होंने यह लाइनें अब तक सिर्फ़ किताबों में पढ़ी है,कभी अपनी आंखों से इसे असलियत में तब्दील होते नहीं देखा है ।'
लड़के के इस ज़वाब पर लड़की बेसाख़्ता हो हंस पड़ी ।उसके कहकहे उस सूने माहौल में गूंजने लगे और तोड़ने लगे हताशा और मातम की वो तमाम दीवारें जो इन दो प्राणियों के इर्द-गिर्द खड़ी हो गयीं थीं ।
-पवन कुमार ।

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