कविता:मादाखोर दुनिया
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©® Pawan Kumar Srivastava/written on 6th July 2018.
इस मादाखोर दुनिया में
बेटी को घर के बाहर
भेजने से पहले,
गले से लगा लो;
उसकी मासूम,
मनमोहक छवि को
अपलक देखलो,
आंखों में भर लो;
चित्र साभार- गूगल
क्या पता अबकि गई
वह बरहना लौटे,
क्षत-विक्षत,
नोची-खसोटी,
लहू में नहाई!
-पवन कुमार श्रीवास्तव।
*बरहना-नंगी।

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