कविता:शब्द
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©®Pawan Kumar Srivastava/written on 20th July 2018.
किसी के लिए शब्द
एक हसीन नाज़नीन है
और इसलिए वे इसकी कमर में
लताफ़त की करधनी बांधेंगे,
पैरों में नफ़ासत की पाजेब बांधेंगे,
गेसू में हुस्न-ओ-गुमान का गजरा बांधेंगे,
और कराएंगे मुज़रा
बज़्मे-उमरा में;
मेरे लिए शब्द भूखों के चूल्हों का
खोया अंगार है,
ज़ालिम के सर को कलम करने वाली तलवार है,
सच और झूठ को पहचानने वाला
अबसार है,
अन्याय के चंगुल से अभागों की
मुक्ति का क़रार है,
और इसलिए मैं इससे उम्मीदें
बांधता हूँ
और चल देता हूँ इसे लेकर
अंधियारों के बाशिंदों की जानिब।
-पवन कुमार।

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